कश्म-ओ-कश में उलझे थे वो अपनी ज़िन्दगी की।
हमने मश्वरा दिया के सुलझा लो इस उलझन को,
कहीं ऐसे ही न बीत जाए ये रीत हसीं महफ़िल की !!!
हमने मश्वरा दिया के सुलझा लो इस उलझन को,
कहीं ऐसे ही न बीत जाए ये रीत हसीं महफ़िल की !!!
Driven by the means to communicate.....
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