वो समझाते रहे और हम समझते रहे।
वो यूँ ही गुनगुनाते रहे और हम उनके कायल हो गये।
वो चलते रहे और हम भी साथ देने को चल पड़े।
वो घायल हुए और हम दुआ क़ुबूल होने की गुहार लगाते रहे।
वो शिकायतें करते रहे और हमारा घड़ा भरता गया।
वो कस्मे खाते रहे और हम उन्हें तोड़ने की बात करते रहे।
वो फांसले बनाते गए और हम समुद्र का किनारा हो गये।
वो याद बन गए और हमारे दिल में समा गए।
ये वक़्त बीत गया और वो यादें धुन्धुली हो गईं।
ये वक़्त का ही खेल था जिसने मिलाया और जुदा करवाया था ।
काश ये वक़्त ठहर सा जाता.........
वो यूँ ही गुनगुनाते रहे और हम उनके कायल हो गये।
वो चलते रहे और हम भी साथ देने को चल पड़े।
वो घायल हुए और हम दुआ क़ुबूल होने की गुहार लगाते रहे।
वो शिकायतें करते रहे और हमारा घड़ा भरता गया।
वो कस्मे खाते रहे और हम उन्हें तोड़ने की बात करते रहे।
वो फांसले बनाते गए और हम समुद्र का किनारा हो गये।
वो याद बन गए और हमारे दिल में समा गए।
ये वक़्त बीत गया और वो यादें धुन्धुली हो गईं।
ये वक़्त का ही खेल था जिसने मिलाया और जुदा करवाया था ।
काश ये वक़्त ठहर सा जाता.........
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