ज़रा कभी उन पुराने खतों को खोलकर पढ़ना
जो इस वक़्त तुम्हारी अल्मारी की धुल में पड़े हैं।
तुम्हे तुम्हारी बेवफाई के सबूत वहीँ मिल जाएंगे
क्योकि वफ़ा करने वाले अक्सर सवाल नहीं किया करते।
जन्नत की हक़ीक़त भी मुझे तब पता चली
जब काफिर के बोलने का लहज़ा ही बदल गया
मानो ज़िन्दगी ने कभी मुलाक़ात ही नहीं करवाई थी
ये वक़्त तो बस रंजिशें करने में लगा हुआ था
कौन सी?? वो इसे भी नहीं पता था ।
- Pushkin Channan
जो इस वक़्त तुम्हारी अल्मारी की धुल में पड़े हैं।
तुम्हे तुम्हारी बेवफाई के सबूत वहीँ मिल जाएंगे
क्योकि वफ़ा करने वाले अक्सर सवाल नहीं किया करते।
जन्नत की हक़ीक़त भी मुझे तब पता चली
जब काफिर के बोलने का लहज़ा ही बदल गया
मानो ज़िन्दगी ने कभी मुलाक़ात ही नहीं करवाई थी
ये वक़्त तो बस रंजिशें करने में लगा हुआ था
कौन सी?? वो इसे भी नहीं पता था ।
- Pushkin Channan
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