मंज़िलें खो सी गई हैं, रास्ते धुंधले से होते जा रहे हैं,
गर्दिशें ऐसे मिल रहीं हैं जैसे सदियों से इंतज़ार में बैठी हों ।
उनसे मोहोब्बत जैसे बेशुमार हो गई है ।
ना दरिया में हम बहते
और ना वो दरिया काला पानी होता।
- Pushkin Channan
गर्दिशें ऐसे मिल रहीं हैं जैसे सदियों से इंतज़ार में बैठी हों ।
उनसे मोहोब्बत जैसे बेशुमार हो गई है ।
ना दरिया में हम बहते
और ना वो दरिया काला पानी होता।
- Pushkin Channan
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