मैं एक आम आदमी हूँ जो आप सभी की तरह एक खुशहाल ज़िन्दगी जीना चाहता है, बड़ा बनने और बुलंदियों क शिखर पर पहुंचना चाहता है। किस्मत का भरोसा तोह था नहीं, क्योंकि जो सोच कर घर से निकले थे वैसा कुछ मिला नहीं । बचपन में माँ ने पढ़ाया, "कर्म कर फल की चिंता मत कर"। लेकिन चिंता तोह इस बात की है क ऐसा कोण सा कर्म कर जिससे फल की चिंता मत कर । मैं कौन हूँ ??? मैं वो पानी का दरिया हूँ जिसे सिर्फ किनारों ने पहचाना। मैं वो हवा का झोंखा हूँ जो किनारों पर पड़े हुए पत्तों को अपने साथ ले जाता है। मैं कौन हूँ ??? जवाब ढूढ़ने चला था, सवाल ही गुमा बैठा। सोचता हूँ क्या मैं कोई राग, कोई संगीत या कोई ऐसी कला हूँ जिसे कोई समझ नहीं सका है। खुद से हूँ अनजान इसलिए आप से मदद मांगता हूँ.... मैं कौन हूँ??? अंत हूँ, मध्य हूँ या कोई आगाज़ हूँ, मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ। सोचते हुए एक उम्र गुज़र जाएगी, है यकीं मुझे मेरी मंज़िल मिल जाएगी - ३
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