ज़िन्दगी रोमांच से भरी थी, क्योंकि ज़िन्दगी हमारी रंगमंच पर खड़ी थी
जोकरों की कमी भी नहीं थी, जिसे देखता तो ऐसा लगता के नाटक कम्पनी में इसकी भर्ती थी ।
दर्शकों ने हमारे मंच की बेहत इज़्ज़त की,
खिलाडी हम थे और दूसरों को बेवक़ूफ़ बनाने की अनोखी हम में कला थी।
उस्ताद हमें दुनिया बोलती थी,
जहाँ भी हम जाते वहीँ हमारी चर्चा होती थी।
इसी शान में ज़िन्दगी जी जा रही थी,
तभी, पलट कर देखा तो लगा के ये तो बेगारी वाली ज़िन्दगी थी ,
झूठी शान और झूठी शौकत थी ।
कुछ ज़िन्दगी को सुधरने की हमने फिर सोची थी ,
एहसास हुआ के अब वक़्त हो चला है ।
वक़्त के बाद बत्ती जगी थी, फायदा क्या था
इसलिए दुबारा बुझा ली थी ।
जोकरों की कमी भी नहीं थी, जिसे देखता तो ऐसा लगता के नाटक कम्पनी में इसकी भर्ती थी ।
दर्शकों ने हमारे मंच की बेहत इज़्ज़त की,
खिलाडी हम थे और दूसरों को बेवक़ूफ़ बनाने की अनोखी हम में कला थी।
उस्ताद हमें दुनिया बोलती थी,
जहाँ भी हम जाते वहीँ हमारी चर्चा होती थी।
इसी शान में ज़िन्दगी जी जा रही थी,
तभी, पलट कर देखा तो लगा के ये तो बेगारी वाली ज़िन्दगी थी ,
झूठी शान और झूठी शौकत थी ।
कुछ ज़िन्दगी को सुधरने की हमने फिर सोची थी ,
एहसास हुआ के अब वक़्त हो चला है ।
वक़्त के बाद बत्ती जगी थी, फायदा क्या था
इसलिए दुबारा बुझा ली थी ।
Such a beautiful entry!! All the very best to you!
ReplyDeleteThanks a lot for taking out time to go through it. and thanks for the wishes.
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