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Showing posts from February, 2016

main kaun hun...

मैं एक आम आदमी हूँ जो आप सभी की तरह एक खुशहाल ज़िन्दगी जीना चाहता है, बड़ा बनने और बुलंदियों क शिखर पर पहुंचना चाहता है। किस्मत का भरोसा तोह था नहीं, क्योंकि जो सोच कर घर से निकले थे वैसा कुछ मिला नहीं । बचपन में माँ ने पढ़ाया, "कर्म कर फल की चिंता मत कर"। लेकिन चिंता तोह इस बात की है क ऐसा कोण सा कर्म कर जिससे फल की चिंता मत कर । मैं कौन हूँ ??? मैं वो पानी का दरिया हूँ जिसे सिर्फ किनारों ने पहचाना। मैं वो हवा का झोंखा हूँ जो किनारों पर पड़े हुए पत्तों को अपने साथ ले जाता है। मैं कौन हूँ ??? जवाब ढूढ़ने चला था, सवाल ही गुमा बैठा। सोचता हूँ क्या मैं कोई राग, कोई संगीत या कोई ऐसी कला हूँ जिसे कोई समझ नहीं सका है। खुद से हूँ अनजान इसलिए आप से मदद मांगता हूँ.... मैं कौन हूँ??? अंत हूँ, मध्य हूँ या कोई आगाज़ हूँ, मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ, मैं कौन हूँ। सोचते हुए एक उम्र गुज़र जाएगी, है यकीं मुझे मेरी मंज़िल मिल जाएगी - ३

Left alone...

हम ऐसे ही पलके बिछा कर बैठे रहे और तुमने मुड़कर तुमने मुड़कर ही न देखा। ज़माने गुज़र गए तुम्हारी याद में, और हमने तुम्हे लौटते हुए न देखा। कुछ इसी तरह ढल जाएगा ज़िन्दगी का फलसफा, और न जाने फिर कब सवेरा होग।

Playful life...

ज़िन्दगी रोमांच से भरी थी, क्योंकि ज़िन्दगी हमारी रंगमंच पर खड़ी थी जोकरों की कमी भी नहीं थी, जिसे देखता तो ऐसा लगता के नाटक कम्पनी में इसकी भर्ती थी । दर्शकों ने हमारे मंच की बेहत इज़्ज़त की, खिलाडी हम थे और दूसरों को बेवक़ूफ़ बनाने की अनोखी हम में कला थी। उस्ताद हमें दुनिया बोलती थी, जहाँ भी हम जाते वहीँ हमारी चर्चा होती थी। इसी शान में ज़िन्दगी जी जा रही थी, तभी, पलट कर देखा तो लगा के ये तो बेगारी वाली ज़िन्दगी थी , झूठी शान और झूठी शौकत थी । कुछ ज़िन्दगी को सुधरने की हमने फिर सोची थी , एहसास हुआ के  अब वक़्त हो चला है ।  वक़्त के बाद बत्ती जगी थी, फायदा क्या था इसलिए दुबारा बुझा ली थी ।

bas yun hi....

ghar se chale the hm yun hi khushi ka pitara liye, kya pata tha k beech raste mein kahin kho jaaega, raat k andheron mein mera dil fir kuch sawaalon k jawaab khojta rah jaaega......