“वो ऊँचे नीले आसमान में उड़ते हुए पंछी
वो गहरे पानी में तैरती मछलियाँ
वो लंबी इमारतों का आकाश को छूना
मुझे इशारा कर रहे थे के ज़िन्दगी में
सब कुछ आसान है।
वो छोटे बच्चों का मदमस्त रहना
वो गिर के फिरसे खड़े हो जाना
कुछ तो ख़ास है इनकी हर मुस्कान में
जो बड़े बड़े भी गलतियाँ अन्देखी कर देते हैं।
मैंने खुद को भी समझाया
के क्यों हर पल तू रहता घबराया
जो है होना उसके लिए फिर कैसा माफीनामा।
मैंने दिल को ये समझाया के दिल आखिर तू क्यों फिकर करता है
जो होना है वो तो होना है।”
- Pushkin Channan
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