"बैठ बैठ कर थक सा जाता हूँ
ये दिल भी ज़रा घबरा सा जाता है
कभी किसी ने याद किया तो ठीक
वरना दीवारों से बात करके सो जाता हूँ
बैठ कर ये दिल घबरा जाता है
जाने वालों का अक्सर जाना याद आ जाता है
मेहमानों की भी हलचल कम हो गई है
ये वक़्त भी आजकल गुज़ारना मुश्किल हो गया है"
- Pushkin Channan
ये दिल भी ज़रा घबरा सा जाता है
कभी किसी ने याद किया तो ठीक
वरना दीवारों से बात करके सो जाता हूँ
बैठ कर ये दिल घबरा जाता है
जाने वालों का अक्सर जाना याद आ जाता है
मेहमानों की भी हलचल कम हो गई है
ये वक़्त भी आजकल गुज़ारना मुश्किल हो गया है"
- Pushkin Channan
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