"रौशनी थी चारों तरफ
फिर भी उस घर में सन्नाटा था
खूब रोइ वो माँ, कहती
मेरा बेटा राज दुलारा था
तिरंगे में लिपट के जब आया, बोले पिता
मेरा बेटा बहादुर था
इक कोने में विलपति बहन,
बोली मेरा भाई लाखो में एक था
कहते सबको मीडिया वाले
इस शेर ने देश के लिए जान दी
कोई पूछे उनके घर वालों से
के कैसे उनकी सांस चली
क्या कहना उन वीर जवानो का
सरहद पर जो सारी उम्र लड़े
कुछ अपने ही देश को खा गए
उस सैनिक की वीरगति का विषय लिए"
- Pushkin Channan
फिर भी उस घर में सन्नाटा था
खूब रोइ वो माँ, कहती
मेरा बेटा राज दुलारा था
तिरंगे में लिपट के जब आया, बोले पिता
मेरा बेटा बहादुर था
इक कोने में विलपति बहन,
बोली मेरा भाई लाखो में एक था
कहते सबको मीडिया वाले
इस शेर ने देश के लिए जान दी
कोई पूछे उनके घर वालों से
के कैसे उनकी सांस चली
क्या कहना उन वीर जवानो का
सरहद पर जो सारी उम्र लड़े
कुछ अपने ही देश को खा गए
उस सैनिक की वीरगति का विषय लिए"
- Pushkin Channan
जय मां हाटेशवरी.......
ReplyDeleteआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
19/02/2019 को......
[पांच लिंकों का आनंद] ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
सटीक समसामयिक एवं हृदयस्पर्शी रचना..
ReplyDelete