"अपनों की कहानि है...
भुलाए गए कुछ रिश्तों की कुछ बाकी निशानी है
निकल गए जो मन्जिल की ओर 'वो'
उन्हें कुछ अधूरी दास्तां सुनानी है।
अपनी दुनिया जो छोड़ आए वो
उनकी याद 'उनको' दिलानी है
थम गए जो पल किसी के जाने से
जरा सा कुछ देर मिल कर उनमें भी तो जान लानी है!!!
रिश्ते 'शायद' जो पराए कर आए
उनके 'आज' भी सगे होने की 'उनको' बात बतानी है।
वक्त की चादर ओढ़े ना जाने कहाँ कदम बढ़ाए जा रहे है
नकाप ओढै चेहरे पर 'दो'
ना जाने 'वो' किधर कि ओर बढ़ रहे हैं...."
- Pushkin Channan
भुलाए गए कुछ रिश्तों की कुछ बाकी निशानी है
निकल गए जो मन्जिल की ओर 'वो'
उन्हें कुछ अधूरी दास्तां सुनानी है।
अपनी दुनिया जो छोड़ आए वो
उनकी याद 'उनको' दिलानी है
थम गए जो पल किसी के जाने से
जरा सा कुछ देर मिल कर उनमें भी तो जान लानी है!!!
रिश्ते 'शायद' जो पराए कर आए
उनके 'आज' भी सगे होने की 'उनको' बात बतानी है।
वक्त की चादर ओढ़े ना जाने कहाँ कदम बढ़ाए जा रहे है
नकाप ओढै चेहरे पर 'दो'
ना जाने 'वो' किधर कि ओर बढ़ रहे हैं...."
- Pushkin Channan
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