“वो मोहल्ले के लोग कुछ न कुछ तो कहेंगे
तुम परवाह ना करना।
वो हज़ारों ऐसे ही तुम्हें ताने देंगे
तुम कभी उनकी बात का जवाब ना देना।
ये रैना भी यूँ ही बीत जाएगी
जैसे हर सुबहो के बाद शाम का आना।
वो आँगन में तेरा यूँ ही जाना
और उन फ़ूलों का यूँ महक जाना।
कभी कभी याद आता है हर वो लम्हा
जो आज याद बनकर कहीं लापता सा गया है।
वो मोहल्ले के लोग कुछ कहेंगे, तुम परवाह ना करना।”-Pushkin Channan
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