"वो आखरी शाम
मेहेंगी मोटर में बैठ रवाना होते वक़्त दुआ सलाम
क्या है जो बाकी रह गया था
क्या था जो में शायद दे सकता था
स्नेह, मोहब्बत, प्यार ना जाने क्या
कुछ तो था जो बाकी था
कुछ हसरतें थीं जो अधुरी थीं
कुछ नगमे थे जो अनसुने थे
बना के दिल पत्थर का रुख्सत किया उसको
ना जाने कैसा होगा टुकड़ा मेरे दिल का वो
कभी जो कह दी जाती थीं गुस्से में बात
आज हक़ीक़त बयान करने में भी एक डर लगता है
कुछ यूँ ही मुझे अब खुद से भी डर लगता है
दबा कर अंदर दिल की बात मैं ज़हर कर लेता हूँ
मिल जाए अगर तो दवा समझ कर सुना देता हूँ!!!"
- Pushkin Channan
मेहेंगी मोटर में बैठ रवाना होते वक़्त दुआ सलाम
क्या है जो बाकी रह गया था
क्या था जो में शायद दे सकता था
स्नेह, मोहब्बत, प्यार ना जाने क्या
कुछ तो था जो बाकी था
कुछ हसरतें थीं जो अधुरी थीं
कुछ नगमे थे जो अनसुने थे
बना के दिल पत्थर का रुख्सत किया उसको
ना जाने कैसा होगा टुकड़ा मेरे दिल का वो
कभी जो कह दी जाती थीं गुस्से में बात
आज हक़ीक़त बयान करने में भी एक डर लगता है
कुछ यूँ ही मुझे अब खुद से भी डर लगता है
दबा कर अंदर दिल की बात मैं ज़हर कर लेता हूँ
मिल जाए अगर तो दवा समझ कर सुना देता हूँ!!!"
- Pushkin Channan
Beautiful
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