"और फिर यूँ ही रात में मेरी ज़िद होती है
कुछ देर और लफ्ज़ बयान करने की बात होती है
वो दूर थी फिर भी बात मानती है
बहन है इसलिए वक़्त गुज़ारती है।
आज के रिश्ते कहाँ इतने सच्चे हैं
इसलिए हम अपने भाई-बहन के साथ ही अच्छे हैं
ज़िन्दगी की दौड़ में अपने अपनों को भूल जाए करते हैं
बस कुछ ही तो हैं रिश्ते जो दिल से निभा करते हैं।
चली जाती है एक दिन वो अपना घर बसाने को
छोड़ जाती है पीछे यादें ताज़ा रखने को
कमरे की खाली दीवारें भी अब खामोश रहा करती हैं
बहन तेरे कदमो की आहट आज भी मेरे कानों में गूँजा करती है
वो अनकहे किस्से आज भी मेरी ज़ुबाँ पर आते हैं
तू सामने होती है तो ना जाने कहाँ वो खो जाते हैं।
आज कल दिल खामोश रहता है
तेरा हाल चाल जानने को बेताब रहता है
ना जाने कहाँ छुट गया बचपन अपना
तुझसे फिरसे झगड़ने को दिल है।"
कुछ देर और लफ्ज़ बयान करने की बात होती है
वो दूर थी फिर भी बात मानती है
बहन है इसलिए वक़्त गुज़ारती है।
आज के रिश्ते कहाँ इतने सच्चे हैं
इसलिए हम अपने भाई-बहन के साथ ही अच्छे हैं
ज़िन्दगी की दौड़ में अपने अपनों को भूल जाए करते हैं
बस कुछ ही तो हैं रिश्ते जो दिल से निभा करते हैं।
चली जाती है एक दिन वो अपना घर बसाने को
छोड़ जाती है पीछे यादें ताज़ा रखने को
कमरे की खाली दीवारें भी अब खामोश रहा करती हैं
बहन तेरे कदमो की आहट आज भी मेरे कानों में गूँजा करती है
वो अनकहे किस्से आज भी मेरी ज़ुबाँ पर आते हैं
तू सामने होती है तो ना जाने कहाँ वो खो जाते हैं।
आज कल दिल खामोश रहता है
तेरा हाल चाल जानने को बेताब रहता है
ना जाने कहाँ छुट गया बचपन अपना
तुझसे फिरसे झगड़ने को दिल है।"
- Pushkin Channan
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