"कूछ यूँ इस कदर मुझे मिलने से कतराती है
ऐ ज़िन्दगी ना जाने क्यों तुझसे ये इतना धबराती है??
कभी कभी मोड़ पर ये यूँ मुझसे टकराती है
के बस!! यही है जो मेरा हाल चाल पुछ जाती है
रातों को अक्सर हम मिला करते हैं
बे-वक्त की मुलाकातें
किताब के सफहे पर उतारा करते हैं
ये तेरी स्याही है जो वजह से चला करती है
बेवजह चलने को हम करिश्मा कहा करते हैं...."
- Pushkin Channan
ऐ ज़िन्दगी ना जाने क्यों तुझसे ये इतना धबराती है??
कभी कभी मोड़ पर ये यूँ मुझसे टकराती है
के बस!! यही है जो मेरा हाल चाल पुछ जाती है
रातों को अक्सर हम मिला करते हैं
बे-वक्त की मुलाकातें
किताब के सफहे पर उतारा करते हैं
ये तेरी स्याही है जो वजह से चला करती है
बेवजह चलने को हम करिश्मा कहा करते हैं...."
- Pushkin Channan
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