"के कंकर को टटोलते हुए मैं पहुँचा अपनी गली
चाँद के नीचे भी मुझे यादें इकठ्ठा करना एक साज़िश सी लगी
यूँ तो सूरज के उजाले में ही मिल जाते कुछ बिछड़े अपने
पर ना जाने क्यों आज वो रात मुझे अपनी सी लगी।
वक़्त भी कुछ गुज़ार दिया यूँ ही मैंने अपनी गली में
के गलती से कोई अपना आ जाए और ले चले मुझे सफर पे।
वो महेंगी मोटर गाड़ी
साथ में अपनो की सवारी
मिलती है अब शायद कहानियों में ऐसी यारी।
वो बिन मतलब के झगड़े,
वो बिन बात की खिंचाई
और कभी यूँ ही जब होती थी बड़ों से पिटाई।
बस यूँ ही अब कहते हैं के तेरी याद आई
कुछ अधूरी कहानियों ने शायद आज उसकी याद दिलाई!!!"
- Pushkin Channan
चाँद के नीचे भी मुझे यादें इकठ्ठा करना एक साज़िश सी लगी
यूँ तो सूरज के उजाले में ही मिल जाते कुछ बिछड़े अपने
पर ना जाने क्यों आज वो रात मुझे अपनी सी लगी।
वक़्त भी कुछ गुज़ार दिया यूँ ही मैंने अपनी गली में
के गलती से कोई अपना आ जाए और ले चले मुझे सफर पे।
वो महेंगी मोटर गाड़ी
साथ में अपनो की सवारी
मिलती है अब शायद कहानियों में ऐसी यारी।
वो बिन मतलब के झगड़े,
वो बिन बात की खिंचाई
और कभी यूँ ही जब होती थी बड़ों से पिटाई।
बस यूँ ही अब कहते हैं के तेरी याद आई
कुछ अधूरी कहानियों ने शायद आज उसकी याद दिलाई!!!"
- Pushkin Channan
👌✨
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