"ये दौलत मैंने कुर्बान कर दी है,
बचपन के दिन वापस लाने की इसकी औकात नहीं थी ।
वो बीता हुआ वक़्त जिसे हम अक्सर याद कर के हंस दिया करते हैं
आज उन्ही लम्हों को फिर से जीने को जी चाहता है ।
वो रेत के टीलों पर घरोंदे बनाकर रहने की कल्पना करना
वो हर खिलोने की ख्वाहिश पूरा होना
आज फिर से जी चाहता है वापस उन वादियों में जाने को
जहाँ पर ज़माने की कोई फ़िक्र नहीं थी
आज़ाद पंछी की तरह हर मुकाम हासिल करना चाहते थे
फिर से जी चाहता है बचपन की वो अमीरी जीने को जब पानी में अपनी नाव चला करती थी
हवा में अपना भी हवाई जहाज़ उड़ता था।
एक उम्र होने के बाद सपने पानी की तरह बहते हुए नज़र आते हैं
और ताश के पत्तों की तरह उम्मीदें बिखर जाती हैं।
काश के दौलत में इतनी ताकत होती के वक़्त को खरीद सकते मैं।
- Pushkin Channan
बचपन के दिन वापस लाने की इसकी औकात नहीं थी ।
वो बीता हुआ वक़्त जिसे हम अक्सर याद कर के हंस दिया करते हैं
आज उन्ही लम्हों को फिर से जीने को जी चाहता है ।
वो रेत के टीलों पर घरोंदे बनाकर रहने की कल्पना करना
वो हर खिलोने की ख्वाहिश पूरा होना
आज फिर से जी चाहता है वापस उन वादियों में जाने को
जहाँ पर ज़माने की कोई फ़िक्र नहीं थी
आज़ाद पंछी की तरह हर मुकाम हासिल करना चाहते थे
फिर से जी चाहता है बचपन की वो अमीरी जीने को जब पानी में अपनी नाव चला करती थी
हवा में अपना भी हवाई जहाज़ उड़ता था।
एक उम्र होने के बाद सपने पानी की तरह बहते हुए नज़र आते हैं
और ताश के पत्तों की तरह उम्मीदें बिखर जाती हैं।
काश के दौलत में इतनी ताकत होती के वक़्त को खरीद सकते मैं।
- Pushkin Channan
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