“वो कमरे की छत पर खड़े होना
और तेज़ रफ़्तार गाड़ियों को जाते देखना
महसूस हुआ के ज़िन्दगी भी इसी रफ़्तार के साथ आगे बढ़ रही है
इस बात का एहसास भी हुआ के अब जिये पल आगे चल के यादें बन जाएंगे
वो तेज़ हवाओं का चलना और कुछ इस तरह रुख बदलना जैसे
ज़िन्दगी के बदलते उसूल सिखा रही हो
वो छोटे बच्चों को खेलते देख, मुझे अपने भी दिन याद आये
जब गिल्ली डंडा खेलने की ज़िद लिए मेरा पापा के पास जाना और जवाब मिलना के पहले काम खत्म करो
वो बारिशो में जाके नहाना और घर से माँ की गुस्सैल आवाज़ आना के बेटा बिमार पड़ जाओगे
कमरे की छत पर खड़े होकर ये एहसास हुआ के ये बढ़ती उमर और ढलता शरीर तो वक़्त की मार थी
असल में दिल तो हमेशा ही बच्चा रहता है, बस ज़िन्दगी दौड़ जीतने के लिए बड़ा बना देते हैं।”
- Pushkin Channan
Very right Pushkin
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