"मैं अक्सर उन गलियों में जाया करता हूँ
जहाँ कभी रौनक रहा करती थी।
मैं अक्सर वो किताबों के पन्ने पलट दिया करता हूँ
जिन्हें दीमक लगने वाली होती है ।
मैं अक्सर वो तस्वीरें देख लेता हूँ
जो अब यादें बन गईं हैं ।
मैं अक्सर उन लम्हों को फिर से जीने की ख्वाहिश रखता हूँ
जो शायद अब फिर नहीं मिल पाएंगे।"
- Pushkin Channan
जहाँ कभी रौनक रहा करती थी।
मैं अक्सर वो किताबों के पन्ने पलट दिया करता हूँ
जिन्हें दीमक लगने वाली होती है ।
मैं अक्सर वो तस्वीरें देख लेता हूँ
जो अब यादें बन गईं हैं ।
मैं अक्सर उन लम्हों को फिर से जीने की ख्वाहिश रखता हूँ
जो शायद अब फिर नहीं मिल पाएंगे।"
- Pushkin Channan
Comments
Post a Comment