सिसकियाँ लेते हुए यूँ ही मैं सिरहाने पर सर रख कर सो गया
ऐसा लग रहा था मानो माँ की गोद में सो रहा हूँ ।
आज फिर मैंने उसको याद करने की गुस्ताखी की
वो भी होशियार निकले, हमारे खत ही बे नज़र कर दिए ।
बारिशों में चलते हुए मानो ये शरीर गल सा गया है
ये रास्ता भी अब मुझे मंज़िल नहीं दिखा रहा।
ज़रा झाँक कर देखना अपनी खिड़की से नीचे तुम
अंदाज़ा हो जाएगा के ऊंचाई पर बैठने वाले अक्सर धोखा खा जाय करते हैं।
मुहोब्बत नहीं थी कभी तुमसे मुझे
ये बस गहरी दोस्ती थी जिसे ज़माने ने बदनाम कर दिया ।
Pushkin Channan
ऐसा लग रहा था मानो माँ की गोद में सो रहा हूँ ।
आज फिर मैंने उसको याद करने की गुस्ताखी की
वो भी होशियार निकले, हमारे खत ही बे नज़र कर दिए ।
बारिशों में चलते हुए मानो ये शरीर गल सा गया है
ये रास्ता भी अब मुझे मंज़िल नहीं दिखा रहा।
ज़रा झाँक कर देखना अपनी खिड़की से नीचे तुम
अंदाज़ा हो जाएगा के ऊंचाई पर बैठने वाले अक्सर धोखा खा जाय करते हैं।
मुहोब्बत नहीं थी कभी तुमसे मुझे
ये बस गहरी दोस्ती थी जिसे ज़माने ने बदनाम कर दिया ।
Pushkin Channan
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