ना कुछ था तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता
डुबाया मुझको होने ने, ना होता मैं तो क्या होता??
हुआ जब गम से यूँ बेहिस्स तो ग़म क्या सर के काटने का
ना होता गर जुड़ा तन से तो जनू पर धरा होता।
है मुद्दत के ग़ालिब मर गया लेकिन याद आता है,
हर एक बात पर कहना के यूँ होता तो क्या होता....
डुबाया मुझको होने ने, ना होता मैं तो क्या होता??
हुआ जब गम से यूँ बेहिस्स तो ग़म क्या सर के काटने का
ना होता गर जुड़ा तन से तो जनू पर धरा होता।
है मुद्दत के ग़ालिब मर गया लेकिन याद आता है,
हर एक बात पर कहना के यूँ होता तो क्या होता....
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