आज एक बार फिर पुरानी तारीखें याद कर के दिल भर आया,
याद आये वो पर उन्हें मैं बुला ना पाया।
पता लगा के दोस्ती कितनी गहरी थी हमारी,
रोज़ाना बात करने की आदत हो गई थी हमारी।
सिलसिला ये कुछ ऐसा चला के बस दोस्ताना हमारा और भी गहरा हो गया,
पर एक दिन जैसे अमावस आ गया।
वो बातें बस यादें बन कर रह गई,
पल वो सुनहरे यादों में छोड़ कर चली गई।
जहाँ रोज़ाना गुफ़्तगु हुआ करती थी
वहीँ आज साथी की कमी सी महसूस हुई।
ऐ दोस्त यादों में मुझे अपनी तुम याद रखना और दिल में अपने बसा लेना,
हो सके तो दो चार बात हर रोज़ कर लिया करना
क्योंकि, नहीं देना चाहते हम आपको अपने लिए तरसना।
ऐ दोस्त यादों में मुझे बस तुम अपनी याद रखना, दिल में तुम मुझे बसा लेना।
याद आये वो पर उन्हें मैं बुला ना पाया।
पता लगा के दोस्ती कितनी गहरी थी हमारी,
रोज़ाना बात करने की आदत हो गई थी हमारी।
सिलसिला ये कुछ ऐसा चला के बस दोस्ताना हमारा और भी गहरा हो गया,
पर एक दिन जैसे अमावस आ गया।
वो बातें बस यादें बन कर रह गई,
पल वो सुनहरे यादों में छोड़ कर चली गई।
जहाँ रोज़ाना गुफ़्तगु हुआ करती थी
वहीँ आज साथी की कमी सी महसूस हुई।
ऐ दोस्त यादों में मुझे अपनी तुम याद रखना और दिल में अपने बसा लेना,
हो सके तो दो चार बात हर रोज़ कर लिया करना
क्योंकि, नहीं देना चाहते हम आपको अपने लिए तरसना।
ऐ दोस्त यादों में मुझे बस तुम अपनी याद रखना, दिल में तुम मुझे बसा लेना।
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