लगा के जैसे कल फिर उन्होंने हमें याद किया,
अर्से बाद हमारा नाम उनके लब्ज़ों पर आ ही गया।
यूँ तो कसम हर जहान की उन्होंने खाई थी,
दोबारा न मिलने की सौगंध ली थी।
ऐसा लगा के खुद से किया वायदा भूल सा गए वो,
ज़माने ने याद कराया लेकिन मुकर सा गए वो।
बोले, ज़ुबान दी थी कोई जान नहीं जो वापस नहीं ली जा सकती,
वायदा करके तोड़ने की अदा भी तो दुनिया वालों से सीखी थी।
उनकी इस अदा पर हम फ़िदा हो गए, मानो हम उनके लट्टू हो गए।
हुस्न उनका देख कर हम तो बेहोश से हो गए
सोचत हूँ के वो आइना कैसे दखते होंगे.....
अर्से बाद हमारा नाम उनके लब्ज़ों पर आ ही गया।
यूँ तो कसम हर जहान की उन्होंने खाई थी,
दोबारा न मिलने की सौगंध ली थी।
ऐसा लगा के खुद से किया वायदा भूल सा गए वो,
ज़माने ने याद कराया लेकिन मुकर सा गए वो।
बोले, ज़ुबान दी थी कोई जान नहीं जो वापस नहीं ली जा सकती,
वायदा करके तोड़ने की अदा भी तो दुनिया वालों से सीखी थी।
उनकी इस अदा पर हम फ़िदा हो गए, मानो हम उनके लट्टू हो गए।
हुस्न उनका देख कर हम तो बेहोश से हो गए
सोचत हूँ के वो आइना कैसे दखते होंगे.....
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