बहुत ही अच्छी और बेहतरीन लड़की थी वो,
जैसे आप सब की दोस्त होती हैं वैसी नहीं थी वो
कुछ हटके थी वो, एक बेहतरीन दोस्त थी वो
गलतियां मेरी हज़ारों माफ़ करती थी वो
लेकिन कुछ एक रोज़ ऐसा गुनाह हुआ के
बख्श देने के काबिल नहीं था वो
आज, कुछ मेरी ऐसी ही गलति के चलते मुझसे दूर हो गई वो,
सॉरी भी नहीं बोल सकता मैं अब उसको
सही बोलते थे घर वाले, रिश्ते निभाने आसान नहीं होते।
अच्छा ही किया के किनारा कर लिया हमसे
समय रहते दूर कर दिया अपने से
पता नहीं अगर ये नज़दीकियां बढ़ जाती,तो तेरे चले जाने के बाद क्या होता
मैं सच में नामाकूल हूँ, ज़िन्दगी का तजुर्बा नहीं था मुझे
कीमत इसकी एक दोस्त कुर्बान कर के चुकानी पड़ी मुझे।
जैसे आप सब की दोस्त होती हैं वैसी नहीं थी वो
कुछ हटके थी वो, एक बेहतरीन दोस्त थी वो
गलतियां मेरी हज़ारों माफ़ करती थी वो
लेकिन कुछ एक रोज़ ऐसा गुनाह हुआ के
बख्श देने के काबिल नहीं था वो
आज, कुछ मेरी ऐसी ही गलति के चलते मुझसे दूर हो गई वो,
सॉरी भी नहीं बोल सकता मैं अब उसको
सही बोलते थे घर वाले, रिश्ते निभाने आसान नहीं होते।
अच्छा ही किया के किनारा कर लिया हमसे
समय रहते दूर कर दिया अपने से
पता नहीं अगर ये नज़दीकियां बढ़ जाती,तो तेरे चले जाने के बाद क्या होता
मैं सच में नामाकूल हूँ, ज़िन्दगी का तजुर्बा नहीं था मुझे
कीमत इसकी एक दोस्त कुर्बान कर के चुकानी पड़ी मुझे।
:) its a nice poem but she is still your besty
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