हमको मालूम है जन्नत की हकीकत
लेकिन दिल खुश रखने को ग़ालिब ये खयाल अच्छा है।
देखिये पाते हैं उष्षाक बुतों से क्या फैज़??
इक ब्राह्मण ने कहा है के हे साल अच्छा है!!!
हम तो यूँ ही उनसे गिला किया करते थे,
अहमियत अपनी हमें तब पता चली जब उनके आने की खबर हमें किसी और से मिली।
-Pushkin Channan
बख्श दे ऐ खुदा तू उस शख्सियत को,
क्योंके आज हमारी इंतज़ार की सीमा भी पूरी हो गई।
-Pushkin Channan
लेकिन दिल खुश रखने को ग़ालिब ये खयाल अच्छा है।
देखिये पाते हैं उष्षाक बुतों से क्या फैज़??
इक ब्राह्मण ने कहा है के हे साल अच्छा है!!!
हम तो यूँ ही उनसे गिला किया करते थे,
अहमियत अपनी हमें तब पता चली जब उनके आने की खबर हमें किसी और से मिली।
-Pushkin Channan
बख्श दे ऐ खुदा तू उस शख्सियत को,
क्योंके आज हमारी इंतज़ार की सीमा भी पूरी हो गई।
-Pushkin Channan
Comments
Post a Comment