चाय पर चर्चा बिना उनके मैं क्या करता,
जन्नत होती थी जब हम गिला भी किया करते थे तो!!
मनाने की अदा उनकी हमें कुछ ऐसे लुभाया करती थी,
जैसे मानो माँ का आँचल पकड़ के कोई बच्चा रो रहा हो और माँ उसे चुप कराने में लगी हुई हो!!
लेकिन फिर भी माँ का प्यार तो माँ का ही होता है।
लगा के जैसे खुदा ने उसे माँ का प्यार देने पराई धरती पर भेजा है,
जैसे अपनी जगह उसने माँ को जो बनाया है!!
- Pushkin Channan
जन्नत होती थी जब हम गिला भी किया करते थे तो!!
मनाने की अदा उनकी हमें कुछ ऐसे लुभाया करती थी,
जैसे मानो माँ का आँचल पकड़ के कोई बच्चा रो रहा हो और माँ उसे चुप कराने में लगी हुई हो!!
लेकिन फिर भी माँ का प्यार तो माँ का ही होता है।
लगा के जैसे खुदा ने उसे माँ का प्यार देने पराई धरती पर भेजा है,
जैसे अपनी जगह उसने माँ को जो बनाया है!!
- Pushkin Channan
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