हैरान हूँ तुम्हें आज मैं यहाँ देख के, ऐसा भी क्या के अरसे के बाद हम याद आ गए।
मेहरबान होकर फिर चाहे बुला लो मुझ को तुम, क्योंकि मैं वो पानी की लहर नहीं जो कहीं खो जाऊँ....
ख़याल रखना ऐ दोस्त अपना, जब भी कभी ज़रुरत हो तो बे हिचक बुला लेना
मत करना कभी तुम कोई गिला, ना हो बात तो कोई गम नहीं, बस अपनी यादों में हमें याद रखना...
मेहरबान होकर फिर चाहे बुला लो मुझ को तुम, क्योंकि मैं वो पानी की लहर नहीं जो कहीं खो जाऊँ....
ख़याल रखना ऐ दोस्त अपना, जब भी कभी ज़रुरत हो तो बे हिचक बुला लेना
मत करना कभी तुम कोई गिला, ना हो बात तो कोई गम नहीं, बस अपनी यादों में हमें याद रखना...
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