एक हसीं शाम, मैं शायर बदनाम।
लेकर अपना ताम झाम, घूमा सारा जहां।
तलाश एक नए शहर की, ये नए नौकरी की।
भटकता रहा मैं सारा संसार।
तभी अंदर से आवाज़ आई क तेरा वक़्त भी आएगा।
ज़रा आहिस्ते चल तेरा भी मुकाम आएगा, तेरा भी मुकाम आएगा।
लेकर अपना ताम झाम, घूमा सारा जहां।
तलाश एक नए शहर की, ये नए नौकरी की।
भटकता रहा मैं सारा संसार।
तभी अंदर से आवाज़ आई क तेरा वक़्त भी आएगा।
ज़रा आहिस्ते चल तेरा भी मुकाम आएगा, तेरा भी मुकाम आएगा।
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