ऐ दोस्त एक दिन तू भी कहीं मशरूफ हो जाएगा,
चला जाऊँगा मैं और तुझे पता भी ना चल पाएगा।
काफिला मेरा ऐसे ही निकल जाएगा,
दुनिया मुझे देखने आएगी, पर तू उस वक़्त भी मशरूफ रह जाएगा।
मत करना तू कभी मेरा नाम किसी से बयां, वरना
लोगों का झुण्ड ऐसे ही तेरी हंसी बना कर चला जाएगा।
फिर शायद शिकवा करो तुम, के क्यों हमने उसे दिल-इ-खास बनाया?
बोलोगे के चला गया तू और जीना मेरा दुश्वार कर गया।
माफ़ी उस वक़्त तुमसे मैं मांग नहीं पाऊँगा, क्योंकि दूर कहीं मैं तब चला गया होऊंगा।
शायद कहीं से मेरी आवाज़ अगर तुम्हारे तक पहुँचेगी, तो ज़रा कदम बहार रख कर देख लेना।
क्या पता के मेरा कोई संदेसा आया होगा!!
गम मेरे जाने का तुम्हे कुछ पल सताएगा, लेकिन फिर तुम्हारा जीवन पहले जैसा हो जाएगा।
मैं नहीं तो कोई और ही सही, तुम्हारी ज़िन्दगी में ज़रूर आएगा।
शायद मेरी कमी वो पूरी नहीं कर पाएगा, पर गम मत करना
यादों में मुझे अपनी हमेशा ज़िंदा रखना।
यादें जो पीछे मैं छोड़ जाऊँगा, उसकी कहानी बना कर अपने बच्चों को ज़रूर बयां करना।
अलविद-ऐ-दोस्त, बोल कर मैं जा रहा हूँ,
क्या मिलेंगे अगले जनम फिर?? इसका जवाब खुदा से लेकर तुम्हारे सपने में देने चला आऊंगा।
Pushkin Channan
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