हज़ारों मंज़िलें होंगी, हज़ारों कारवां होंगे।
निगाहें हमको ढूंढेगी, न जाने हम कहाँ होंगे।
किसी दिन ऐसे ही चला जाऊँगा मैं,
ढूंढते रहे जाओगे के कहाँ गया??
वक़्त की मार हमें पड़ी और
लुट कर ये चला गया....
हमारे मित्र ने हमसे पूछा के कैसे हैं हम-
हमने भी हँस कर कह दिया जैसा चोड़ कर गए थे वैसा ही हूँ मैं।
कभी लगे के अगर परेशानी है हमसे,
बा तक्लुफ़ी कर देना हमें।
कहीं ऐसा न हो के गम के दरिये में हमारी तरह तुम भी जी रहे हों।
निगाहें हमको ढूंढेगी, न जाने हम कहाँ होंगे।
किसी दिन ऐसे ही चला जाऊँगा मैं,
ढूंढते रहे जाओगे के कहाँ गया??
वक़्त की मार हमें पड़ी और
लुट कर ये चला गया....
हमारे मित्र ने हमसे पूछा के कैसे हैं हम-
हमने भी हँस कर कह दिया जैसा चोड़ कर गए थे वैसा ही हूँ मैं।
कभी लगे के अगर परेशानी है हमसे,
बा तक्लुफ़ी कर देना हमें।
कहीं ऐसा न हो के गम के दरिये में हमारी तरह तुम भी जी रहे हों।
Comments
Post a Comment