अरसा हो गया था हमें अपना दोस्त से मिले,
सोच में वो थे किसी बात की परेशानी लिए।
समय मांग रहा था मैं उनसे उनका,
क्योंकि किसे पता ये ज़िन्दगी का सूरज कब ढल जाएगा?
क्योंकि बाद में सिर्फ रह जाएंगी यादें हमारी।
यादों के सहारे कब तक जी लोगे,
दुखी होकर फिर हमें खोजोगे, नहीं मिलूंगा मैं।
क्योंकि तब तक हम कहीं बहुत दूर जा चुके होंगे।
फिर बोलोगे काश के कुछ पहर पहले मिल लिए होते,
तो आज गम हमारी जुदाई का बर्दाश्त कर लिया सकते होते ।
सोच में वो थे किसी बात की परेशानी लिए।
समय मांग रहा था मैं उनसे उनका,
क्योंकि किसे पता ये ज़िन्दगी का सूरज कब ढल जाएगा?
क्योंकि बाद में सिर्फ रह जाएंगी यादें हमारी।
यादों के सहारे कब तक जी लोगे,
दुखी होकर फिर हमें खोजोगे, नहीं मिलूंगा मैं।
क्योंकि तब तक हम कहीं बहुत दूर जा चुके होंगे।
फिर बोलोगे काश के कुछ पहर पहले मिल लिए होते,
तो आज गम हमारी जुदाई का बर्दाश्त कर लिया सकते होते ।
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