आखें रो पड़ी ना कोई पैगाम आया,
भूल गए वो हमें ना कोई सलाम आया।
अब भला घर छोड़ के क्या करते,
शाम वक़्त के सफर क्या करते।
भूल गए वो हमें ना कोई सलाम आया।
अब भला घर छोड़ के क्या करते,
शाम वक़्त के सफर क्या करते।
Driven by the means to communicate.....
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